प्रोटीन बढ़ाने के लिए भूसा / पुआल का यूरिया उपचार

यह तथ्य सर्वविदित है कि पशुओं के स्वास्थ्य व दुग्ध उत्पादन हेतु हरा उपलब्ध न होना तथा पशुआहार की अधिक कीमत किसान के लिए एक
समस्या है। सामान्यत: धान और गेहूं का भूसा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है, लेकिन इनमें पोषक तत्त्व बहुत कम होते हैं। प्रोटीन की मात्रा 4% से
भी कम होती है। भूसे का यूरिया से उपचार करने से उसकी पौष्टिकता पशु को सुचारू रूप से उपचारित चारा खिलाने पर उसको नियमित दिये
जाने वाले पशुआहार में 30% तक की कमी की जा सकती है। बढ़ती है और प्रोटीन की मात्रा उपचारित भूसे में लगभग 9% हो जाती है।

उपचार विधि
एक बार में कम से कम 1 टन (1000किलो) भूसे का उपचार करना चाहिये। 1 टन भूसे के लिये 40 किलो यूरिया और 400 लीटर पानी की
आवश्यकता होती है।
1. 4 किलो (चार किलो) यूरिया को 40 लीटर पानी में (समिति की दूध वाली कैन के बराबर) घाल।
2.100 किलो भूसे को जमीन में इस तरह फैलायें कि पर्त की मोटाई लगभग 3 से 4 इंच रहे।
3. ऊपर तैयार किये गये 40 लीटर घोल को इस फैलाये गये भूसे पर हजारे से छिड़कें। फिर

भूसे को पैरों से अच्छी तरह चल-चल कर या कूद-कूद कर दबायें।
4. इस दबाये गये भूसे के ऊपर 100 किलो भूसा पुन: फैलाएं और पुनः
4 किलो युरिया को 40 लीटर पानी में घोल कर, घोल का हजारे सें भूसे
के ऊपर छिड़काव करें और पहले की तरह इस पते को भी चल-चल कर
या कूद-कूद कर दबायें।

5. इस तरह एक के ऊपर एक सौ-सौ किलो की 10 पर्ते डालते जायें, घोल
का छिड़काव करते जायें और दबाते जायें ।
6. उपचारित भूसे को अब प्लास्टिक शीट से ढक दें और उससे जमीन में
छूने वाले किनारों पर मिट्टी डाल दें जिससे बाद में बनने वाली गैस बाहर
न निकल सके।
7. प्लास्टिक शीट न मिलने की स्थिति में ढेर के ऊपर थोड़ा सूखा भूसा
डालें। उस पर थोड़ी सूखी मिट्टी/पुआल डाल कर चिकनी गीली मिट्टी/
गोबर से लीप भी सकते हैं।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • यूरिया को कभी जानवर को सीधे खिलाने का प्रयास नहीं करना चाहिये।
    यह पशु के लिये जहर हो सकता है |
  • भूसे के उपचार के समय यूरिया के तैयार घोल को पशुओं से बचाकर रखें।
  • उपचार करने के लिए पक्का फर्श अधिक उपयुक्त रहता है। यदि फर्श
    कच्चा ही हो तो जमीन में भी एक प्लास्टिक शीट बिछाई जाती है|
  • यह उपचार किसी बंद कमरे में या आंगन के कोने में अधिक सुविधाजनक
    रहता है।
  • फसल की कटाई के समय यदि किसान खेत में या घर में चट्टा
    (बिटौरा / कूप) बनाकर भूसा रखते हों, तो चट्टा बनाने के समय ही भूसे
    को उपरोक्त विधि से उपचारित कर सकते हैं। इससे अतिरिक्त श्रम की
    बचत भी होगी।
  • उपचार किये गये भूसे के ढेर को गर्मी में 21 दिन व सर्दी में 28 दिन बाद
    ही खोलें। खिलाने से पहले भूसे को लगभग 10 मिनट तक खुली हवा
    में फैला दें। जिससे उसकी गैस उड़ जाए।
  • शुरूआत में पशु को उपचारित भूसा थोड़ा थोड़ा दें। धीरे-धीरे आदत
    पड़ने पर पशु चाव से खाने लगता हैं।

यूरिया उपचार करें
भूसे की पौष्टिकता बढ़ाएं।

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