सहजन की खेती
राजेन्द्र सिंह, रामगढ़ (9424349199)
डा0 राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डा0 सुमन कुमार चौधरी बताते है कि सहजन की खेती में 01 हेक्टेयर में कुल 50 हजार का खर्च आता है बाढ़ और बंजर वाली जमीन जहां कुछ भी नही हो सकता वहॉं भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। जमीन का पी0एच0 मान 6 से 7.5 तथा बलुई, दोमट मिट्टी उपयोगी है।
इसके पत्ते, छाल, जड़, फूल व फल का इस्तेमाल आयुर्वेद में होता है। 90 तरह के मल्टी विटामिन्स, 45 तरह के एन्टी आक्सिटेड और 17 प्रकार के अमीनों एसिड (प्रोटीन) इसमें पाये जाते है।
साल मे दो बार सहजन की उन्नत किस्म का नाम ओ0डी0सी0-3 है। प्रत्येक पौध से साल में (दो बार की तुड़ाई में) लगभग 40-50 किग्रा0 फल प्राप्त हेाता है।
दो बार फल देने वाली किस्म ओ0डी0सी -3, पी0के0एम0-1, पी0के0एम0-2, कोयम्बटूर-2 प्रमुख है। जरूरत के हिसाब से विभिन्न अवस्थाओं मे फल की तुड़ाई करते है। पौध लगाने के लगभग 160 से 170 दिनों में पेड़ तैयार हो जाता है। एक बार फल लगने के बाद 4-5 वर्षो तक इससे फसल लिया जा सकता हैं प्रत्येक वर्ष फसल लेने के बाद पौधे को जमीनसे एक मीटर छोड़कर पौधा काटना आवश्यक है।
पौध से पौध की दूरी 2.5 मीटर तथा लाइन से लाइन की दूरी 2.5 मीटर होनी चाहिए। सर्वप्रथम 45ग45ग45 से0मी0 का गड्डा बनाकर 10 किग्रा0 केचुआ की खाद गड्डे की ऊपरी मिट्टी के साथ मिलाकर पौध रोपना चाहिए।
सहजन मे बीज और शाखा के टुकड़ो दोनों प्रकार से प्रवर्धन होता है। अच्दी फसल और साल में दो बाद फलन के लिये बीज से प्रवर्धन में लगाये पौधा
जून से सितम्बर में लगाये पौधा
एक हेक्टेयर में खेती करने के लिये 500 से 700 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। बीज को सीधे तैयार गड्डो में या पालीथीन मे पौधा तैयार कर गड्डो में लगाया जाता है।
पालीथीन बैग में पौध एक महीने में लगाने योग्य तैयार हो जाता है। फिर इस पौध को गड्डो में जून से सितम्बर तक की अवधि मे रोपनी की जा सकती है।
पौधा जब 75 से0मी0 हो जाये तो पौध के ऊपरी भाग को तोड़ देना चाहिए। इससे बगल के शाखाओं को निकलने में आसानी होती है।
एक शोध के मुताबिक मात्र 15 किग्रा0 गोबर की खाद प्रति गड्डा तथा एजोसपिरिलम और पी0एस0बी0 (05 किगा्र0/हेक्टेयर) के प्रयोग से जैविक सहजन की खेती, उपज मे बिना किसी ह्रास के किया जा सकता है।
01 हेक्टेयर (04 बीघा या 80 बिस्वा या 10000 वर्ग मी0) मे कुल 1600 पौध आते है और 01 पेड़ से दो बार में कुल 50 किग्रा0 की फली प्राप्त होती है। इस प्रकार 01 हेक्टेयर मे कुल 80,000 किग्रा0 फली प्राप्त होगी। आगे किसान स्वयं समझे कि इसमें कितना फायदा है।
भारतवर्ष में ओ0डी0सी-3 बेरायटी की सहजन की खेती निर्यात के लिये की जा रही हैै। इसमें सघन पद्धति से खेती करने पर 50 प्रतिशत उत्पादन ज्यादा होता है। सहजन की खेती में सह फसली के रूप में मूंग, उड़द, सरसों की खूब ख्ेाती होती है। लखनऊ मे एक जगह 50 एकड़ में सहजन खेती हुयी है। मधुमक्खी के कई हजार बाक्स भी रखी हुयी है। इस प्रकार शहद उत्पादन भी खूब होता है। अर्थात आम के आम गुठालियों के दाम। केन्द्रीय सब्जी अनुसंधान केन्द्र शहनशापुर/अदलपुरा वाराणसी के वैज्ञानिकों ने इसी वर्ष विश्व की सबसे अच्छे किस्म की सहजन की प्रजाति विकसित की है जो साल दो बार फल देती है। किसान भाई इसका भी फसल उगा सकते है।