हरे चारे का दुग्ध उत्पादन में महत्त्व

पशुओं को स्वस्थ रखने तथा उनका दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए हरा चारा अति आवश्यक है। पशु इसे चाव से खाते और आसानी से पचाते है। हरे चारे में वांछित विटामिन-ए और खनिज अधिक मात्रा में होते है। जो पशु की प्रजनन शक्ति के लिये महत्त्वपूर्ण है, इससे पशु समय से गर्मी में आता है और दो ब्यांतो के बीच का अंतर भी कम हो जाता है।
कम जमीन व कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण किसान नकद पैसा देने वाली फसलों पर ज्यादा ध्यान देते है, फिर भी निम्न पद्धति अपनाकर हम चारा उत्पादन बढ़ा सकते हैं।

पद्धतियां

  • सिंचित क्षेत्रों में जब दो फसलों के बीच खेत खाली हो, कम समय में
    तैयार होने वाली चारा फसलों को उगाना।
  • ज्यादा चारा उत्पादन के लिए फसलों की चारे वाली प्रजाति को
    उगाना।
  •  उत्तम गुणवत्ता वाले बीजों का प्रयोग करना।
  •  खराब भूमि को सुधार कर उपयुक्त चारे की फसलों को उगाना।
  •  गांव की सामूहिक जमीन पर बहुवर्षीय घास (जैसे सेवान, धामन) एवं
    चारे वाले वृक्षों (सिसबेनियां, खेजरी, सुबबूल) को लगाना।
  • फलों के खेत में छूटी हुई जगह में छांह में पनपने वाली
    घास या चारा उगाना (जैसे कांगो सिग्नल)
  •  घर के पिछवाड़े गंदे पानी
    के निकास के स्थान पर एक
    से ज्यादा कटान देने वाली
    बहुवर्षीय घास लगाना (जैसे
    पैराग्रास, संकर नैपियर, नैपियर)

दुधारु पशुओं को हरा चारा खिलाने का कमाल ।
दुग्ध उत्पादन लागत कम करके बन जाएँ माला-माल

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