नवजात बछड़े / बछियों की देखभाल

  • जन्म के तत्काल बाद बछड़े / बछिया की नाक और उसका मुंह साफ
    करें।
  • नवजात बछड़े / बछिया की छाती पर धीरे-धीरे, मालिश करें जिससे कि
    उसे सास लेने में आसानी रहे। बछड़े/बछिया के पूरे शरीर को अच्छी
    तरह से साफ करें।
  • मुंह में दो अंगुलियाँ डालें और उन्हें उसकी जीभ पर रखें । इससे
    बछड़े / बछियों को दघ पीने में मदद मिलेगी।
  • नाल को दो इंच की दूरी पर धागे के साथ बाध दे । बची हुई नाल को
    साफ कैची से काट कर उस पर टिक्चर आयोडिन लगायें जिससे कि नाल में
    संक्रमण को रोका जा सके।
  • जन्म के बाद आधे घंटे के भीतर नवजात पशु को खीस पिलाएं। खीस की मात्रा
    बच्चे के बजन के 1/10 भाग के बराबर होनी चाहिये। जिसे दिन में तीन से
    चार बार बांटकर देना चाहिये।
  • बछड़/बछिया के उचित विकास हेतु उन्हें दो माह की उम्र तक दृध
    पिलाना चाहियेतीसरे सप्ताह कृमिनाशक दवा दे।तदन्तर, 3 व 6 माह की उम्र में
    एक-एक बार ।
  • बछड़ा/बछिया जैसे ही एक महीने का हो जाए, उसे कोमल घास (‘हैं)
    और 100 ग्राम शिशु-आहार प्रति दिन देना चाहिये।
  • तीन महीने की आयू होने पर, पशु चिकित्सक से संपर्क करके आवश्यक
    टीके लगवाएं।
  • नवजात बछड़े/बछियों को सूरक्षित वातावरण में रखना चाहिये ।
    आज के बाछड़े/बछिया, कल के बेहतर पशु ।

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