आपके प्रश्न हमारे उत्तर

  1. प्र. यदि पशु को चाटने के लिए यूरिया-मोलासिस लॉक दिया जा रहा है तो यूरिया उपचारित भूसे की कितनी मात्रा खिलाना उपयुक्त रहेगा ?
    उ. इन दोनों में से पशु को एक समय में एक ही देना है। यदि चाटने के लिये ब्लॉक रखा जा रहा है तो उपचारित भूसा न दें और यदि चाटन नहीं दे रहे
    हैं तो उपचारित भूसा पशु को जितना खाये, दे सकते है ।
  2. प्र.क्या यूरिया उपचारित भूसा खिलाने पर पशु आहार देने की आवश्यकता नहीं रहती?
    उ. यदि पशु दूध में या गाभिन नहीं है और उसे भरपूर यूरिया उपचारित भूसा खाने को मिल रहा है या साधारण भूसे के साथ यूरिया-मोलासिस ब्लॉक
    चाटने को 24 घंटे उपलब्ध है तो पशु आहार की आवश्यकता नहीं रहती,किन्तु गाभिन और दूध देने वाले पशुओं को इस पुस्तिका के पूर्व में बतायी
    गयी तालिका के हिसाब से पशु आहार / बाइपास प्रोटीन दिया जानाआवश्यक होगा।
  3. प्र. यदि हम पशु को सन्तुलित पशु-आहार खिला रहे हैं तो भी क्या खनिज मिश्रण अलग से देना आवश्यक है?
    उ. चूंकि सन्तुलित पशु आहार में भी खनिज मिश्रण होता है । अतः पशु आहार की उपयुक्त मात्रा के साथ हम खनिज मिश्रण की सुझाई गयी मात्रा
    को आधा कर सकते है।
  4. प्र. यदि पशु यूरिया मोलासिस ब्लॉक को नहीं चाटता है तो क्या करना चाहिये?
    उ. पशु को ब्लॉक चाटने की आदत डालने के लिये शुरु में दो-चार दिन ब्लॉक पर चुटकी से आटा, चोकर या पशु आहार छिड़कें । पशु को धीरे धीरे
    आदत पड़ जायेगी।
  5.  प्र. एक यूरिया मोलोसिस ब्लॉक पशु चाट कर कितने दिन में खत्म कर देता है?
    उ. एक ब्लॉक तीन किलो का होता है जिसे एक पशु औसतन 5-7 दिन में पूरा चाट लेता है।
  6. प्र. टीका लगाने वाला यदि खुरपका-मुंहपका बीमारी का टीका ठंडे बॉक्स में रखकर न लाया हो तो क्या पशु को टीका नहीं लगवाना चाहिये?
    उ. बिल्कुल नहीं, क्योंकि ऐसा टीका खराब हो जाता है और वह रोग से बचाव नहीं कर सकता।
  7. प्र.क्या पशुको गर्भावस्था में टीके लगवा सकते हैं?
    उ. गर्भावस्था में टीके लगवाये जा सकते हैं इससे कोई परेशानी नहीं है, किन्तु गर्भावस्था के अंतिम माह में न लगवाये, क्योंकि टीका लगाने के
    लिये पशु को पकड़ते समय उसे या उसके बच्चे को चोट लग सकती है।
  8. प्र.यदि गांव में खुरपका-मुहपका रोग आ गया है तो उस समय भी क्या खुरपका-मुंहपका का टीका लगवाया जा सकता हैं ?
    उ.टीका लगवाने के बाद शरीर के अन्दर रोग से सुरक्षा लगभग 2-3 सप्ताह बाद ही आती हैं | पशु में यदि बीमारी के कीटाणु प्रवेश पा चुके हैं तो
    उसे 10 दिन के अन्दर रोग होने की सम्भावना रहती है । अब यदि उसी पशु को (जिसमे बीमारी के कीटाणु प्रवेश कर गए है किन्तु ऊपर से वह
    स्वस्थ है) टीका लगवाते है तो 3-10 दिन में उसे बीमारी हो सकती है। वस्तुतः इस रोग का कारण प्रवेश पा चुके कीटाणुओं का प्रभाव है जो टीके
    की सुरक्षा आने से पहले ही हो जाता है । इसलिये सलाह यही है कि टीका तो लगवा ही लेना चाहिए क्योंकि यदि पशु
    के शरीर में कीटाणुओं ने प्रवेश नहीं पाया है और पशु को टीका लगाने के बाद रोगी पशुओं से दूर रखा जा रहा है तो 2 से 3 सप्ताह में
    पशु सुरक्षित हो जायेगा।
  9. प्र. क्या एक साथ कई बीमारियों के टीके लगवाये जा सकते हैं ?
    उ. हां, मनुष्यों में तथा कुत्तों में कई बीमारीयों का संयुक्त टीका पहले से ही लग रहा है । गाय भैंसो के लिये भी गलघोंटू व लंगड़िया रोगो का संयुक्त
    टीका हम वर्षों से लगवाते आ रहे हैं । अब गाय व भैंसो के लिए खुरपका- मुंहपका, गलघोटू व लंगड़िया का संयुक्त टीका भी उपलब्ध है। साल में
    एक बार लगवाकर पूरे वर्ष आराम ।
  10. प्र घावों में कीड़े पड़ जाने पर क्या करें?
    उ.समय पर इलाज न करवाने पर या घाव पुराना होने पर कभी कभी उनमें कीड़े पड़ जाते हैं । उसे पोटाश (लालदवा) डिटाल या सेवलान के घोल से
    अच्छी तरह साफ करके थोड़ा तारपीन का तेल लगाना चाहिये । इससे कीड़े मर जाते हैं । बाद में कोई कीटाणुनाशक मलहम जैसे लोरेक्सीन या
    सल्फानिलामाइड का चूर्ण डालकर पट्टी बांधनी चाहिये जिससे घाव भर जाये।
  11. प्र. पशु को अगर कुत्ता काट लें तो क्या करना चाहिये ?
    उ. घाव को तुरन्त काफी देर तक नल के पानी की धार में धोना चाहिये । यदि.नल न हो तो किसी बर्तन से पानी डालें । नहाने के साबुन (जैसे लाईफ
    बॉय) को घाव पर लगाकर धीरे धीरे मलें और फिर धोये | तत्पश्चात टिचर आयोडीन लगवायें तथा पास के पशु चिकित्सक से आगे के इलाज
    के लिये सलाह लें।
  12. प्र.पशु को सांप काटने पर क्या करें?
    उ. जिस स्थान पर सांप ने काटा हो, तुरन्त ही उसके 3-4 इंच ऊपर पतली डोरी कस कर बांध दें। सांप के काटे हुए स्थान पर ब्लेड से छोटा चीरा
    लगाकर छोड़ दें जिससे धीरे धीरे खून बहेगा और साथ ही विष भी । ऐसा करने के साथ ही पशु चिकिस्तक को तत्काल बुलाएं ।
  13. प्र. पशु को जूं तथा किलनी लगने पर क्या करें?
    उ.पशु को पोटाश (लालदवा) के पानी से अच्छी तरह नहलाएं। प्रभावित स्थान के बाल काट कर वहां कीट नाशक दवा जैसे डीडीटी/गैमेक्सेन चूर्ण को खड़िया के चूरे या राख
    में मिलाकर लगायें। कटे बालों को इधर उधर न फेंके, बल्कि जला दे । दवा लगाने के पहले पशु को खूब पानी पिलाये जिससे वह कीट नाशक दवा न चाट ले ।
  14. प्र. अफरा या पेट फूलने पर क्या करना चाहिये?
    उ. पशु द्वारा अधिक बरसीम, लूसर्न आदि हरे चारे या अनाज खा लेने से गैस बनती है और पेट फूल जाता है । ऐसे में पानी बिल्कुल न पिलाएं और पशु
    को बैठने न दें। 100 ग्राम काला नमक, 30 ग्राम हींग, 100 मिली लीटर तारपीन का तेल व 500 मिलीलीटर अलसी का तेल मिलाकर पशु को
    पिलायें और पशु चिकित्सक से सलाह लें ।
  15. प्र. गाय, भैसो को दूध उतारने के लिये ऑक्सीटोसिन की सुई लगाने से क्या पशु को या दूध पीने वाले को कोई हानि होती है ?
    उ. कई पशु पालक पशुओं का दूध निकालने के लिए पशुओं को ऑक्सीटोसिन की सुई लगाते है । इसके लगातार प्रयोग से पशुओं की आंतरिक जैविक
    क्रियाओं का संतुलन बिगड़ सकता है और पशुओं के गर्भधारण में समस्याये हो सकती हैं । ऐसे पशु का कच्चा दूध पीने से पीनेवाले को भी
    हानि हो सकती हैं । अतः दूध सदैव उबालकर ही पियें । 
    प्र.क्या देशी गायों को नहीं पालना चाहिये?

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