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आपके प्रश्न हमारे उत्तर

प्र. यदि पशु को चाटने के लिए यूरिया-मोलासिस लॉक दिया जा रहा है तो यूरिया उपचारित भूसे की कितनी मात्रा खिलाना उपयुक्त रहेगा ?उ. इन दोनों में से पशु को एक समय में एक ही देना है। यदि चाटने के लिये ब्लॉक रखा जा रहा है तो उपचारित भूसा न दें और यदि चाटन नहीं …

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पशुओं के लिए आवास

पशुओं के विकास एवं उनसे अधिकतम उत्पादन लेने के लिये उनके स्वच्छ एव आरामदेह आवास का प्रबन्ध अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। दुधारूपशुओं को ऐसे स्थान में रखना चाहिये जहाँ उन पर गर्मी और सर्दी का प्रभाव कम हो तथा पशुओं को सूरज की सीधी किरणों और हवा केथपेड़ों से बचाया जा सके।ग्रीष्म काल में गर्मी बढ़ने …

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भूसे से पूर्ण आहार की गोली (पेलेट्स) / गांठ (ब्लॉक) तैयार करना

भारतवर्ष में पशुओं का मुख्य भोजन भूसा ही है। भूसा कहीं आवश्यकता से काफी अधिक मात्रा में पैदा होता है और कही बहुत ही कम । अधिकतावाले स्थान से अभाव वाले स्थानों पर भूसा हर वर्ष ले जाया जाता है,जिसमें बहुत अधिक व्यय होता है। दूसरा पहलू यह भी है कि भूसे मेंपोषक तत्त्व बहुत …

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प्रोटीन बढ़ाने के लिए भूसा / पुआल का यूरिया उपचार

यह तथ्य सर्वविदित है कि पशुओं के स्वास्थ्य व दुग्ध उत्पादन हेतु हरा उपलब्ध न होना तथा पशुआहार की अधिक कीमत किसान के लिए एकसमस्या है। सामान्यत: धान और गेहूं का भूसा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है, लेकिन इनमें पोषक तत्त्व बहुत कम होते हैं। प्रोटीन की मात्रा 4% सेभी कम होती है। भूसे …

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हे

मुलायम तने वाली घासें जैसे जई,जौ, लूसर्न आदि को सुखाकर ‘हे’बनाया जाता है।हरी फसल को काटकर 5-10 किलोके बंडल बनाते हैं। बंडल एक दूसरे के सहारे खड़ा करके धूप में सुखाएके जाते हैं। बंडल को ऐसा रखें कि फूल वाला हिस्सा ऊपर रहे। सुखाने कीप्रक्रिया में जगह बदले ताकि सभी बंडल ठीक से सूख जाए। …

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चारा संरक्षण

साल भर हरा चारा मिलना, खासकर गर्मी के मौसम में, बहुत कठिन होता है। वर्षाऋतु के बाद जब हरा चारा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता हैतो उसे ‘साइलेज’ या ‘हे’ बनाकर संरक्षित कर सकते हैं। चारे की कमी के समय यह हरे चारे का अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि इस प्रक्रियामें हरे चारे के …

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दुग्धज्वर (Milk Fever)

सामान्यतः यह रोग अधिक दूध देने वाले पशुओं को व्याने के २-३ दिनों के अन्दर ही होता है परंतु ब्याने के पूर्व या अधिकत्तम उत्पादन के समय भी होसकता है। पशु के रक्त में और फलस्वरुप मांसपेशियों में केल्सियम की कमी इसका मुख्य कारण होता है। लक्षण• साधारणतः इस रोग में ज्वर नही दुग्धज्वर में …

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कृमि-नियंत्रण (Worm Control)

पेट में रहने वाले ये कृमि परजीवी होते हैं, जो पशु का रक्त चूस कर उनको निरन्तर निर्बल बनाते रहते हैं। कृमि पशुओं की खुराक खुदखाते रहते है और पशु को खाये गये भोजन का लाभ ही नहीं मिलता।ऐसे कृमि व उनके अंडे गन्दे तालाब या नाले के किनारे अधिक होते हैं। लक्षण पशुओं में …

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चकरी रोग (Bovine Surra)

यह बीमारी मक्खियों के काटने से फैलती है क्योंकि मक्खियों में इस रोगके कीटाणु पाये जाते हैं।लक्षण  पशु खाना छोड़ देते हैं। तेज बुखार आता है और लारबहती है। पशु इधर-उधर बैचेनी से घूमता है या गोलाई में चक्कर लगाता है। पशु बार-बार काँपते हुए उठता है, गिरता है, फिर उठता है। आँखे लाल हो …

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पशु टीकाकरण (Vaccination of Animals)

जानवरों को खुरपका-मुहपका, गलघोंटू, लंगडा बुखार और संक्रामक गर्भपात (ब्रूसेल्लोसिस) जैसी संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिएआवश्यक है कि पशुओं को नियमित रुप से टीके लगवाये जायें। क्रम सं. टीका का नाम (बीमारी) पहली डोज दूसरी डोज बाद में 1. रक्षा-ओवैक (खुरपका-मुंहपका) चार माह की उम्र में पहली डोज के नौ  माह के बाद प्रत्येक …

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