यह पशुओं का एक संक्रामक रोग है जिसमें गाय/भैसो में गर्भपात और बांझपन की संभावना होती है। रोगी पशु के सम्पर्क में आने या उसका
कच्चा दूध पीने से रोग के कीटाणु मनुष्य में उतार-चढ़ाव वाले ज्वर (Undulant Fever) का रोग उत्पन्न कर सकते हैं।
लक्षण
- गर्भावस्था के अंतिम तीन माह के दौरान गर्भपात हो जाता है।
- गर्भपात के पश्चात जेर रुक जाती है, जिसके सड़ने से पशु की मृत्यु भी हो सकती है।
- पशु के जोड़ो में सूजन सी मालूम पडती है।
रोकथाम
- रोग से बचाव के लिये 4 से 8 माह की बछियों को टीका लगवाना चाहिये। (बछड़ों को नहीं)।
- रोगी पशु को स्वस्थ पशुओं से तुरन्त अलग कर देना चाहिये।
गिरे हुए भ्रूण, जेर तथा संपर्क में आई सभी वस्तुओं को जलाकर अथवा गढ्ढे में
गाड़कर ऊपर से चूना डाल कर दबा देना चाहिये। - रोगी पशु के बाड़े को तथा जिस जगह गर्भपात हुआ हो उस स्थान के फर्श को
178 माह की गलियां कलिये प्रवेकर कीटनाशक घोल (फिनाइल) से धोकर साफ
करना चाहिये।
उपचार
- इस रोग का कोई भी असरदार उपचार नहीं है अतः रोकथाम और
बछियों के टीकाकरण पर पूरा ध्यान देना चाहिये।
जीवन में एक बार 4-8 माह की बछियों को टीका लगवायें
संक्रामक गर्भपात से आजीवन छुटकारा पायें |