पशुओं के विकास एवं उनसे अधिकतम उत्पादन लेने के लिये उनके स्वच्छ एव आरामदेह आवास का प्रबन्ध अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। दुधारू
पशुओं को ऐसे स्थान में रखना चाहिये जहाँ उन पर गर्मी और सर्दी का प्रभाव कम हो तथा पशुओं को सूरज की सीधी किरणों और हवा के
थपेड़ों से बचाया जा सके।
ग्रीष्म काल में गर्मी बढ़ने से जानवरों को बहुत कष्ट होता है। गर्मी के मारे जानवर बेहाल हो जाते हैं। वे पसीना बहाकर और हॉफ-हॉफ कर
अपने शरीर को किसी प्रकार से ठंडा रखने की कोशिश करते हैं। पशु खाना नहीं खा पाते हैं। धीरे-धीरे उनका दूध कम हो जाता है। अत:
जानवरों के रहने के लिये उपयुक्त स्थान होना चाहिये।
- पशु घर में प्रत्येक गाय/भैंस के लिए कम से कम 5.5 फीट चौड़ी और 10 फीट लंबी पक्की जगह होनी चाहिये।
- पशु घर का फर्श (फ्लोरिंग) खुरदरा किन्तु कॅाक्रीट का होना चाहिये। नाली की ओर 1.5% ढलान होनी चाहिये। नाली
8 इंच चौडी और 3 इंच गहरी होनी चाहिये और 1.0% क्रॉस स्लोप होना चाहिये। ताकि पशु के रखने का स्थान स्वच्छ रह
सके और वहां कीटाणु न पनपें । - पशु घर की छत कम से कम 10 फीट ऊंची होनी चाहिये, भले ही वह फूस की, शीट की या पक्की ईटों की हो।
- पशु घर तीन तरफ से खुला होना चाहिये। केवल पश्चिम दिशामें दीवार होनी चाहिये। हर पशु के लिये छत की ऊँचाई पर 3
फीट x 1.5 फीट के खुले रोशनदान होने चाहिये। सर्दी में टाट द्वारा तीनों खुली दिशाओं को ढंक देना चाहिये। - पशु घर की पश्चिमी दीवार पर 2 फीट चौडा और 1.5 फीट गहरा नांद बनाना चाहिये। नांद का आधार भूमितल से 1 फीट
उपर होना चाहिये। नांद के साथ स्वच्छ जल की व्यवस्था होना भी आवश्यक है। - पशु घर की पूर्वी दिशा में पशुओं के घूमने का क्षेत्र (फ्री लोफिंग एरिया) होना चाहिये। पशुओं को पेड़ की छाया में सबसे अधिक
आराम मिलता है। घूमने के क्षेत्र में 2-3 नीम जैसे छायादार वृक्ष लगाने चाहिये। - ग्रीष्म काल में पशुओं के शरीर पर 15 से 20 मिनट के अंतर पर पानी छिड़कने से उन्हें गर्मी से राहत मिलती है, क्योंकि
वाष्पीकरण से उन्हें ठंडक पहुंचती है। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड ने छोटे किसानों के लिये एनिमल कूलिंग सिस्टम
विकसित किया है जिसकी कीमत लगभग 5000 रूपये है। (मार्च 2003 की दर)। यह कूलिंग सिस्टम 4 से 10 जानवरों के
लिए पर्याप्त है।
एनिमल कूलिंग सिस्टम अपनाओ,
डेरी पशुओं को गर्मी से बचाओ।