प्रेरणा पुरूष
श्री संगारा राम लाखा, से0नि0, प्रमुख सचिव,
प्रेरणा पुरूष
श्री संगारा राम लाखा, से0नि0, प्रमुख सचिव,
उ0प्र0 शासन।
पूर्व अध्यक्ष, उ0प्र0 लोक सेवा आयोग।
पूर्व कुलाधिपति
गौतमबुद्धा विश्वविद्यालय , ग्रेटर नोएडा
आपका जन्म 12 मार्च 1949 को ग्राम- करनाने, जिला नवॉ शहर, पंजाब में एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। परिaवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद आपने अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री तथा हार्वर्ड विश्वविद्यालय से ’’लोक प्रशासन’’ में डिप्लोमा की डिग्री प्राप्त की। 1979 में आई0ए0एस0 में चयन के पूर्व आप अर्थशास़्त्र में प्रोफेसर तथा केन्द्रीय सचिवालय में डेस्क आफिसर के पद की भूमिका का निर्वहन किया था। उ0प्र0 में आपने कई जनपदों के जिलाधिकारी, आजमगढ़ मंडल के मण्डलायुक्त तथा कई निगमों/प्रधिकरणों/आयोगों के शीर्ष पद को सुशोभित करते हुये उ0प्र0 शासन के कई विभागों में सचिव/प्रमुख सचिव की भूमिका का निर्वहन किया। उ0प्र0 मे आपके द्वारा किये गये महत्वपूर्ण कार्य निम्नवत है।ः-
1. जब आप आबकारी आयुक्त, उ0प्र के पद पर 1992 में तैनात थे, तो आपने इलाहाबाद में हजारो करोड़ का आबकारी घोटाले को पकड़ा और दोषियों को सजा दिलवायी।
2. पहले सुगरकेन सोसाइटी के माध्यम से पर्चिया कटती थी और किसानों को गन्ना भुगतान किया जाता था। किसानों के भुगतान में हेरा-फेरी व गड़बड़ी पाये जाने के पश्चात आपने 1998-1999 में 01 लाख किसानों के खाते में सीधे भुगतान किये जाने की व्यवस्था की। गन्ने के क्रय की पर्चियों का कम्प्यूराइजेशन भी किया गया।
3. इसी तरीके से छात्रवृत्तियों में गड़बड़ी पाये जाने पर आपने एस0 सी0/एस0टी0/ओ0बी0सी0 के छात्रों के छात्रवृत्तियों का कम्प्यूटराइजेशन कर छात्रों के खाते मे डायरेक्ट बेनीफिट ट्रान्सफर (डी0बी0टी0) के माध्यम से पैसे भेजे जाने की व्यवस्था की।
4. आपने उ0प्र में स्पेशल कम्पोनेन्ट प्लान के अतंर्गत प्रत्येंक वर्ष, 03 वर्ष के लिए, 01 लाख एस0सी0/एस0टी0 लोगों को स्वरोजगार हेतु ऋण प्रदान करने की व्यवस्था की और गॉव में जमीने क्रय कर उन्हें आवंटित की, गॉवोे तथा शहरों में 17 हजार व्यावसयिक दुकान बनाकर भी आवंटित की।
5. इसी प्रकार 1970 के लगभग जब नरोरा एटामिक पावर प्लान्ट बुलंदशहर की स्थापना की गयी, तो प्लान्ट के 1.6 किमी0 के रेडियेस के अंतर्गत आस-पास के 06 बड़े गॉव विकिरण खतरे मे आ गये थे और यह कार्य 25 वर्षो से लंबित था। आपने 06 माह के अंतर्गत 06 नये गॉवों की स्थापना कराकर उन्हें पुनर्वासित किया, जिसकी भारत सरकार ने काफी प्रशंसा की ।
6. आप जब उ0प्र0 आई0ए0एस0 संघ के पदाधिकारी थे, तब आई0ए0एस0 सवंर्ग में नैतिक मूल्य व्यवस्था को अंगीकार किये जाने के पक्ष में काफी सार्थक कार्य किया और 03 सबसे महाभ्रष्ट अधिकारियों को चिन्हित किया, जो बाद में मा0 न्यायालयों में सजा पाये।
7. जब आप उ0प्र0 लोक सेवा आयोग मे अध्यक्ष के पद पर तैनात हुए थे तब आयोग की छवि काफी धूमिल और संदिग्ध थी। अधिकारियों के चयन मे जातिवाद, पक्षवाद की शिकायत थी। लेकिन आपने अपने 03 साल के कार्यकाल के दौरान निष्पक्ष, निर्विवाद, पारदर्शी व मेरिट के आधार पर 18 हजार से अधिक अधिकारियों का चयन कर आयोग की प्रतिष्ठा को बहाल किया। 500 मुंसिफ मजिस्ट्रेट की नियुक्ति हेतु आपने इंटरव्यू के समय मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के 05 कार्यरत मा0 न्यायमूर्ति को आमंत्रित कर निष्पक्ष चयन की व्यवस्था की जिसकी प्रशंसा उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली द्वारा भी की गयी।
8. इसी तरीके से जब गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा में कुलधिपति के पद पर कार्यरत थे, तब आपने देश-विदेश के 180 से अधिक योग्यतम प्राध्यापकों की नियुक्ति कर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा मे वृद्धि की।
9. जब आप उद्यान विभाग में प्रमुख सचिव के पद पर कार्यरत थे, तब आपने प्रदेश के 30 जनपदों में ’’नेशनल हार्टिकल्चर मिशन’’ तथा शेष जनपदों में ’’स्टेट हार्टिकल्चर मिशन’’ को लागू करवाया, जिसमें साग-सब्जियों और बागवानी लगाने पर जोर दिया गया ताकि किसानों की अतिरिक्त आमदनी हो सके। ’’डायवर्सिफाइड एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट के अंतर्गत आपने खेती-किसानी के साथ-साथ मधुमक्खी, संकर गाय, बकरी, कुक्कुट व मछली पालन पर जोर देने के साथ ही कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा दिया। कृषि विश्वविद्यालयों के कृषि ज्ञान के प्रचार-प्रसार हेतु प्रोद्यौगिकी हस्तान्तरण का समझौता कर जमीनी स्तर तक कृषि ज्ञान को पहुचाया, ताकि किसानों की आय में वैल्यू एडिसन (मूल्य संवर्धन) हो सके।
विद्यार्थियों के लिए संदेश
1. सकारात्मक सोच
2. मजबूत मूल्य व्यवस्था अर्थात सत्य, निष्पक्षता, निडरता, व्यक्तिगत लाभ का परित्याग कर समाज के हासियें पर खड़े लोगो के लिये कार्य करना। जीवन में कभी भी सरेण्डर नही करना चाहियें, लगातार संघर्ष करते रहना चाहिये।
3. क्षमता का लगातार स्वमूल्याकंन और इसमें लगातार वृद्धि।
4. लक्ष्य का निर्धारण और इसकों प्राप्त करने का सतत प्रयास।
5. परिणामोन्मुखी – अर्थात इतना परिश्रम कि परिणाम आज जाए।