व्याने के समय पशु की देखभाल
व्याने के एक दिन पहले गाभिन पशु के जनन अंग से द्रव का स्राव होता है। पशु को बाधा पहुंचाये बगैर
हर एक घंटे (रात के दौरान भी) अवलोकन करना चाहिये। ब्याने के समय जननांग से एक द्रव से
भरा बुल-बुला सा निकलता है जो धीरे-धीरे बड़ा हो जाता है और अंत में फट जाता है। उसमें बच्चे
के पैर का खुर का भाग दिखाई देता है और फिर अगले पैरों के घुटनों के बीच सिर दिखाई पड़ता
है। धीरे-धीरे अपने आप बच्चा बाहर आ जाता है। कभी-कभी गाभिन पशु अशक्त होता है तो बच्चे
को बाहर आने में तकलीफ होती है। ऐसी स्थिति में कोई अनुभवी व्यक्ति बच्चे को बाहर खींचने में
मदद कर सकता है। बच्चे की ऊपर बताई गई स्थिति में कोई अंतर हो तो तुरन्त पशुचिकित्सक
से संपर्क करें।
ब्याने के बाद पशु की देखभाल
ब्याने के बाद जेर गिरने का इंतजार करना चाहिये। सामान्यत: 10-12 घंटे में जेर गिर जाता है। जैसे
ही जेर गिर जाए, उसे उठाकर जमीन में गड्ढा कर के गाड़ देना चाहिये। यदि 24 घंटे तक जेर न
गिरे तो पशु चिकित्सक से संपर्क करके उसे निकलवाना चाहिये।
व्याने के 15-20 मिनिट बाद दूध दुहना चाहिये। बच्चा देने के बाद पशु को बहुत थकान होती है, अत: आसानी से पचने वाला भोजन, जैसे गर्म
चावल, उबला हुआ बाजरा, तेल मिलाये गेंहूँ, गुड़, सोया, अजवाइन,मेथी, अदरख, देना चाहिये। ये जेर गिरने में भी सहायता करता है। पशु
को ताजा हरा चारा व पानी, उसकी इच्छानुसार देना चाहिये। पशु को गर्म पानी नहीं देना चाहिये।जेर गिरने के बाद यदि सर्दी का
मौसम हो तो थोडे गर्म पानी सेऔर यदि गर्मी हो तो स्वच्छ ताजेपानी से पशु को स्नान कराना चाहिये।
ब्याने के बाद पशु को कोई बीमारी हो तो तुरन्त पशु चिकित्सक को बुलाना चाहिये।ब्याने के बाद गाय/भैंस 45-60 दिन में गर्मी में आती है। लेकिन वीर्यदान
के लिए अगली बार गर्मी में आने की प्रतीक्षा करनी चाहिये। यदि इन दिनों में पशु गर्मी में नहीं आता है तो पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिये।
ब्याने के समय और व्याने के बाद की थोड़ी सी देखभाल
बचाये पशुधन और बनाये किसान को माला-माल