- बार-बार रंभाना।
- पूंछ उठाना।
- प्रजनन अंगों में सूजन और अधिक रक्तप्रवाह के कारण गुलाबी-लाल
रंग। - प्रजनन अंगों से गाढ़े चिपचिपे और पारदर्शी द्रव का निकलना।
- बार-बार पेशाब करना ।
- खुराक और दूध का कम होना।
- पशु का बेचैन होना, दूसरे जानवरों को सूंघना और उन पर चढ़ना।
गर्मी में आने के 10-12 घंटे के बाद पशु का साँड़ या अन्य पशु के
सामने जाकर खड़ा होना और उसे अपने ऊपर चढ़ने देना। यह
गर्भाधान का सर्वाधिक उपयुक्त समय होता है
सुझाव - गर्मी में आने के 10-12 घंटे बाद ही कृत्रिम गर्भाधान अथवा प्राकृतिक
गर्भाधान कराना चाहिये। यदि पशु गाभिन नही हुआ है तो वह 21 दिन
बाद पुनः गर्मी में आयेगा। - पशु लगभग 21 दिन के अंतर पर पुन गर्मी में आता है। अत 21 दिन
बाद गर्मी के लक्षणों का फिर से निरीक्षण करना चाहिये, विशेषत
सुबह और शाम के समय। - भैसों में विशेष ध्यान देना चाहिये क्योंकि उन में गर्मी के लक्षण अधिक
स्पष्ट नहीं होते हैं।
गर्मी के लक्षण समय से पहचानें और
गायभैंसों को समय से गाभिन कराएं।