गेंदा फूल को शादीब्याह,जन्मदिन, सरकारी व निजी संस्थानों में आयोजित विभिन्न समारोहों के अवसर पर,पंडाल, मंडपद्वार और गाड़ी,सेज आदि सजाने व अतिथियों
के स्वागत के लिए माला,बुके, फूलदान सजाने में भीइस का प्रयोग किया जाता है.
गेंदा की खेती खरीफ,रबी व जायद तीनों मौसम में की जाती है. पूर्वांचल में गेंदा की खेती की काफी संभावनाएं हैं, बस यह ध्यान रखना है कि कब कौन सा त्योहार है, शादी के
लग्न कब हैं, धार्मिक आयोजन कबकब होते है. इस को ध्यान में रख कर खेती की जाए,फूल को शादीब्याह,जन्मदिन, सरकारी व निजी संस्थानों में आयोजित विभिन्न
समारोहों के अवसर पर,पंडाल, मंडपद्वार और गाड़ी,सेज आदि सजाने व अतिथियों के स्वागत के लिए माला,बुके, फूलदान सजाने में भीइस का प्रयोग किया जाता है.
मिट्टी और खेतकी तैयारी
गेंदा की खेती के लिए दोमट,मटियार दोमट व बलुआर दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है. भूमि को समतल करने के बाद एक बार मिट्टी पलटने वाले
हल से और 2-3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई कर के और पाटा चला कर मिट्टी को भुरभुरा बनाने व कंकड़पत्थर आदि को चुन कर बाहर
निकाल दें और सुविधानुसार उचित आकार की क्यारियां बना दें.
बीज, नर्सरी व प्रसारण
गेंदा का प्रसारण बीज औरकटिंग दोनों विधि से होता है. इस केलिए तकरीबन 100 ग्राम बीज प्रति बीघा (2,500 वर्गमीटर प्रति 1 हेक्टेयर का चौथाई भाग) में जरूरत होती है,
जो 100 वर्गमीटर के बीज शैया में तैयार कियाजाता है.
बीज शैया में बीज की गहराई 1 सैंटीमीटर 1 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, जब कटिंग द्वारा गेंदा का प्रसारण किया जाता है, उस में ध्यान रखना चाहिए कि हमेशा कटिंग नए स्वस्थ पौधे
से लें, जिस में मात्र 1-2 फूल खिला हो. कटिंग का आकार 4 इंच (10 सैमी.) लंबा होना चाहिए.
इस कटिंग पर रूटैक्स लगा कर बालू से भरे ट्रे में लगाना चाहिए. 20-22 दिन बाद इसे खेत में रोप देना चाहिए.
रोपाई का समय और दूरी
गेंदा फूल खरीफ, रबी, जायद तीनों सीजन में बाजार की मांग के अनुसार उगाया जाता है. लेकिन इस के लगाने का सही समय सितंबरअक्तूबर महीना है. विभिन्न मौसम में
अलगअलग दूरी पर गेंदा लगाया जाता है, जो
निम्न तरह से है:
खरीफ (जून से जुलाई): 60 x 45 सैमी.
रबी (सितंबरअक्तूबर): 45 x 45 सैमी.
जायद (फरवरीमार्च): 45 x 30 सैमी.
व्यावसायिक किस्में
पूसा नारंगी, पूसा वसंती और पूसा अर्पिताखास हैं.
खाद व उर्वरक
मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरक का इस्तेमाल करना चाहिए. खेत की तैयारी से पहले 50 क्विटल कंपोस्ट प्रति बीघा की दर से मिट्टी में मिला दें. इस के बाद 33 किलोग्राम यूरिया,
125 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट व 34 किलोग्राम म्यूरेट औफ पोटाश का इस्तेमाल प्रति बीघा की दर से खेत की आखिरी जुताई के समय मिट्टी में मिला दें. 16.5 किलोग्राम यूरिया रोपाई
के एक माह बाद और इतनी ही मात्रा रोपाई के 2 माह बाद इस्तेमाल करें.
सिंचाई
खेत की नमी को देखते हुए 5-10 दिनों के अंतराल पर गेंदा में सिंचाई करनी चाहिए. यदि वर्षा हो जाए, तो सिंचाई नहीं करें.
पिंचिंग
रोपाई के 30-40 दिन के अंदर पौधे की मुख्य शाकीय कली को तोड़ देना चाहिए. इस क्रिया से यद्यपि फूल थोड़ा देर से आएंगे,लेकिन प्रति पौधा फूलों की संख्या और उपज में वृद्धि होती है.
निकाईगुड़ाई व खरपतवार प्रबंधन
तकरीबन 15-20 दिन पर जरूरत के मुताबिक निकाईगुड़ाई करनी चाहिए. इस से भूमि में हवा का संचार ठीक से होता है और खरपतवार नष्ट हो जाते हैं.
फूल की तुड़ाई
रोपाई के 60 से 70 दिन पर गेंदा में फूल आता है, जो 90 से 100 दिनों तक आता रहता है, इसलिए फूल की तुड़ाई/कटाई आमतौर पर सुबह या शाम के समय की जाती है.
फूल को थोड़ा डंठल के साथ तोड़ना/काटना सही होता है. फूल को डब्बा,जिस में चारों तरफ व नीचे में अखबार फैला कर रखना चाहिए और ऊपर से फिर अखबार से
ढक कर बंद करना चाहिए.
पौध स्वास्थ्य प्रबंधन
लीफ हापर, रैड स्पाइडर इसे काफी नुकसान पहुंचाते हैं. इस की रोकथाम के लिए मैलाथियान 50 ईसी 2 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें.
उपज
गेंदा फूल की उपज उस की देखभाल पर निर्भर करती है. आमतौर पर 30-35 क्विटल फूल प्रति बीघा मिल जाते हैं.