यह एक जानलेवा संक्रामक रोग है, जो प्रायः गायों और भैंसों में वर्षा ऋतु में फैलता है, जिसमें मृत्यु दर अधिक होती है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में
तथा पानी जमाव वाली जगहों में इस बीमारी के कीटाणु ज्यादा समय तक रहते हैं।
लक्षण
- अचानक तेज बुखार आता है,आँखे लाल हो जाती हैं और
जानवर कापने लगता है। पशु का खाना पीना बंद हो जाता है। - अचानक दूध घट जाता है।
- जबड़ों और गले के नीचे सूजन
आ जाती है, सांस लेने में कठिनाई होती हैं और घुर्र-घुर्र की आवाज
आती है। - जीभ सूज जाती है और बाहर निकल आती है। लगातार लार टपकती
रहती है। - उपरोक्त लक्षणों के दिखाई देने के एक-दो दिन के भीतर पशु की मृत्यु
हो जाता है।
रोकथाम
- बरसात आने से पहले ही सारे पशुओं को गलघोंटू’ का टीका अवश्य
लगवाए। - स्वस्थ पशुओं से बीमार पशुओं को अलग कर लें। पशुआहार, चारा,
पानी आदि को रोगी पशु से दूर रखें।
उपचार
- यह एक खतरनाक बीमारी है, अत: उपचार और परामर्श के लिये
पशुचिकित्सक से तत्काल सलाह लेनी चाहिये।
वर्षा के पूर्व टीका लगाएं
पशुओं को गलघोंटू से बचाएं।