पेट में रहने वाले ये कृमि परजीवी होते हैं, जो पशु का रक्त चूस कर उनको निरन्तर निर्बल बनाते रहते हैं। कृमि पशुओं की खुराक खुद
खाते रहते है और पशु को खाये गये भोजन का लाभ ही नहीं मिलता।ऐसे कृमि व उनके अंडे गन्दे तालाब या नाले के किनारे अधिक होते हैं।
लक्षण
- पशुओं में दस्त व असमय मृत्यु
- खुराक में कमी
- शारीरिक विकास दर में कमी
- गर्भ धारण क्षमता का देरी से
विकास - दूधके उत्पादन में कमी
- पुन: गाभिन होने में देरी
- गर्भधारण में परेशानी
रोकथाम
- बरसात से पहले व बरसात के बाद में सभी पशुओं को कृमिनाशक दवा खिलाएं।
- दवाई मिला पशुआहार (Medicated Pellets) इसके लिये सरल व सस्ता उपाय
है। अधिक जानकारी या उपलब्धता के लिये अपनी दुग्ध समिति / संघ से सम्पर्क करें।
उपचार
- उपचार हेतु पशु-चिकित्सक से परामर्श करें।
वर्षा के पहले और बाद में सभी पशुओं को कृमि-नाशक दवा खिलायें
परजीवी कृमियों से मुक्ति पायें।