कलौंजी की उन्नत खेती
औषधीय पौध विशेषज्ञ डा0 कविता त्यागी कहती है कि कलाैंजी की खेती करने के लिये सर्वप्रथम मिट्टी की जॉच कराकर आवश्यकतानुसार केचुआ की खाद या फिर एन0पी0के0 का इस्तेमाल कर उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते है।
कलौंजी की किस्म | उत्पादन प्रति हे0 क्विंटल | समय दिन में | P H | मिट्टी | बुआई |
NRCSAN-1 | 08 | 140 | 6 & 7 | बलुई दोमट | अक्टू-नवंबर में |
आजाद कृष्णा | 10&12 | 140 |
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पंत कृष्णा | 08 & 10 | 140 |
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NS-32 | 10 & 15 | 140 & 150 |
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NS- 44 | 50 | 150 & 160 |
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डा0 त्यागाी बताते है कि अगर आप छिड़काव विधि से इसकी बुआई कर रहे है तो बीज का उवचार आवश्यक है। अधिक पैदावार हेतु जमीन का पी0एच0 मान 6 से 7 के बीच होना चाहिये। फसल की बढ़ाव के लिए सर्दी का मौसम अच्छा रहता हे और पकने के लिए वक्त गर्मी का मौसम उपर्युक्त रहता है। इसी वजह से (अक्टूबर- नवम्बर ) के मध्य रबी सीजन में इसकी खेती किसान भाई करते है।
किसानों से कान्ट्रैक्ट कई कंपानियॉं कलौंजी की खेती करा रही है।
सिंचाईः कलौंजी की पहली सिंचाई बीज को खेत में डालने के बाद कर देनी चाहिए। दूसरी सिंचाई बीज के अंकुरित होने तक नमी के आधार पर करना चाहिए, खर-पतवार से मुक्त रखने के लिये 02 से 03 निराई की जरूरत रहती है।